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प्रतिवेदन
श्रीशंकर शिक्षायतन(वैदिक शोध संस्थान), नई दिल्ली द्वारा २६ फरवरी २०२२ को वैदिकविज्ञान-व्याख्यानमाला के अन्तर्गत गीताविज्ञानभाष्य-ज्ञानयोगविर्श विषयक अन्तर्जालीय व्याख्यान का समायोजन किया गया। पं. मोतीलाल शास्त्री द्वारा प्रणीत गीताविज्ञानभाष्य के अन्तर्गत राजर्षिविद्या एक महत्त्वपूर्ण विषय के रूप में प्रतिपादित है। इस राजर्षिविद्या के अन्तर्गत सात उपनिषदों में निहित कुल ५० उपदेशों को समाहित किया गया है। इसी राजर्षिविद्या के प्रथम उपनिषद् के अन्तर्गत विवेचित सात उपदेशों में श्रीमद्भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय के श्लोकों को अधार बनाया गया है। इन्हीं सात उपदेशों को आधार बनाकर शास्त्रीजी द्वारा प्रतिपादित ज्ञानयोग विषय पर यह व्याख्यान समायोजित था। Full report
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