Pandit Madhusudan Ojha has offered several commentaries on the subject of creation. He has examined ten discourses on the subject and has listed principles behind each of the viewpoints. The title of the book is derived from the fact that Brahma is present in every particle of the universe. Examination of this fundamental phenomenon forms the core of this volume.
ब्रह्मसमन्वयः
सृष्टिविषयक पूर्वपक्ष के रूप में जो दस वाद प्रचलित थे उनकी व्याख्या करते हुए सिद्धान्तवाद की व्याख्या अनेक ग्रन्थों में ओझाजी द्वारा की गयी है । उसी सिद्धान्तवाद का निरूपण प्रस्तुत ग्रन्थ में हुआ है । इसमें सभी सिद्धान्तों का स्पष्टतया प्रतिपादन किया गया है । इस ग्रन्थ का नाम ब्रह्मसमन्वय इसलिए है कि जो कुछ भी जगत् में दिखलायी देता है, उन सब में ब्रह्म का अन्वय है अर्थात् ब्रह्म सबमें अन्तःप्रविष्ट है, इसी विज्ञान का विशद विवेचन प्रस्तुत ग्रन्थ में हुआ है ।