Vedic-kosha is also known as Nighantumanimala which means a collection of vedic terms. The book contains vedic terms and their meaning. वैदिककोश वैदिककोश का दूसरा नाम निघण्टुमणिमाला है। इस में मुख्यरूप से निघण्डु में जो वैदिकशब्द प्रयुक्त हैं। उन शब्दों को पद्य के रूप में उपस्थापित किया है। निघण्टु में वैदिकशब्द है और निरुक्त में उसी शब्द की व्याख्या है। इस ग्रन्थ में वैदिक शब्द और उसके अर्थ दोनों को समाहित किया गया है। शौनक कृत बृहद्देवता के पद्य को यथावत् लिया गया है। वर्गा इमे दैव-दिव्य-नर-धर्म-क्रियाव्ययैः। नैगम-द्वयनानार्थैर्बृहद्देवतयापि च ॥ एतैस्तु दशभिर्वर्गैर्निघण्टूक्ता यथायथम्। गृहीता श्लोकबन्धेन शब्दाः प्रायेण वैदिकाः॥ पृ. ५७ देवतवर्ग- इस वर्ग में ३३ कारिका हैं। इस में त्रीलोकी के देवाता, पृथ्वीलोक के देवता, अन्तरिक्षलोक के देवता और द्य्लोक के देवता के नाम उल्लिखित हैं। मरुत्, रुद्र, भृगु, अङ्गिरा, अथर्व, ऋभु, विशिष्ठ इतने गणदेवता हैं। मरुतो रुद्राः पितरो भृगवोऽङ्गिरसोऽप्यथर्व ऋभवः स्त्युः। अथ च वशिष्ठा आप्त्या एता गणदेवतास्तत्र ॥ पृष्ठ ३, कारिका २४ दिव्यवर्ग- इस वर्ग में ३५ कारिका हैं तथा द्युलोक-पृथ्वीलोक, पृथ्वी, हिरण्य, अनतरिक्ष, दिशा, किरण, दिन, उषा, रात्रि, मेघ, जल, नदी और अश्व के पर्यायवाची शब्दों का संकलन है। मनुष्यवर्ग- इस में आठ कारिका हैं। मनुष्य, मेधावी, स्तोता, ऋत्विक्, अध्यक्ष, चौर और अपत्य के नामों का संग्रह किया गया है। धर्मवर्ग- इस वर्ग में ४५ कारिका हैं। महान्, क्षुद्र, बहुः, समीप, दूर, पुराण, नवीन, अन्तर्हित, सुन्दर, रूप, हस्त, अङ्गुलि, कर्म, यज्ञ, सत्य, वाक्, प्रज्ञा, सुख, बल, क्रोध, वज्र, युद्ध, धन, गौ, अन्न, गृह, कूप, प्रज्वलन और शीघ्र इतने शब्दों के पर्यायवाची शब्दों का संग्रह किया गया है। क्रियावर्ग- इस वर्ग में २९ कारिका हैं। धातु रूप क्रिया, व्याप्ति, ईशन, अध्येषणा, अर्चा, परिचर्चा, याचना, ईक्षण, इच्छा, दान, भोजन, प्रज्वलन, क्रोधन, हनन और शयन आदि शब्दों का संग्रह किया गया है। उपसर्गवर्ग- इस में १४ कारिका हैं। आ, प्र, प्रति अभि आदि शब्द से पूर्व लगने वाले उपसर्गों को समाहित किया गया है। ऐकपदिकवर्ग- इसमें २७ कारिका हैं तथा अनेक शब्दों का संग्रह है। ऐकपदिकार्थवर्ग- इस में १४३ कारिका हैं। इसके अन्तर्गत द्विपदिकार्थसंग्रह है- इसमें ४ कारिका हैं। द्वयर्थसाधारणपद- इसमें ४ कारिका हैं। अनेकार्थवर्ग- अकारिदिक्रम से अनेक शब्दों का संग्रह है इस में ६० कारिका हैं। १० कारिकाओं को अलग से समाहित किया गया है। बृहद्देवतावर्ग- इस में १२० कारिका है। Read/Download