Pandit Madhusudan Ojha has extensively documented various terms appearing in the Vedic texts in Atrikhyati, Devasura-khyati and Madhav-khyati. These terms include brahma, dharma, yajna, itihas and vedanga. He categorised these books into four—yajna, vijnana, itihas and prakirna. (miscellaneous). Devasurkhyati forms part of his work on itihasa (history). In this work, he has explained the origin of Veda, dharma, praja, trailokya (triple worlds) and loka.
ख्याति ग्रन्थ
पंडित मधुसूदन ओझा ने वैदिक ग्रंथों में अत्रिक्यति, देवसुर-ख्याति और माधव-ख्याति में प्रदर्शित होने वाले विभिन्न शब्दों का व्यापक रूप से लिखा हुआ है । इन शब्दों में ब्रह्मा, धर्म, यज्ञ, इतिहास और वेदांग शामिल हैं । उन्होंने इन पुस्तकों को चार में वर्गीकृत किया—यज्ञ, विज्ञान, इतिहास तथा प्रकर्ण । (विविध) । देवसुरख्यति इतिहास पर उनके काम का हिस्सा है । इस ग्रंथ में उन्होंने वेद, धर्म, प्रजा , त्रिलोक और लोक।की उत्पत्ति की व्याख्या की है ।
माधवख्याति
पुराणसमीक्षा ग्रन्थविभाग के अन्तर्गत निर्मित इस माधवख्याति नामक ग्रन्थ में यदुवंश का समग्र विवरण प्रस्तुत किया गया है । ग्रन्थ के अन्त में दी गयी अनुक्रमणिका में यदुवंशीय राजाओं की सूची भी दी गयी है ।
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देवासुरख्याति
ओझाजी द्वारा लिखित पंचविध ग्रन्थविभागों में से पुराणसमीक्षा नामक ग्रन्थविभाग के अन्तर्गत इतिहासविषयक पाँच ख्यातिपरक ग्रन्थों का प्रणयन किया गया जिसमें यह देवासुरख्याति भी एक है । इस ग्रन्थ में वेदसृष्टि, धर्मसृष्टि, प्रजासृष्टि, त्रैलोक्यनिरूपण, लोकसृष्टि एवं चातुर्वर्ण्य विषयक विवेचन किया गया है ।
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