श्रीशंकर शिक्षायतन वैदिक शोध संस्थान द्वारा दिनांक ७-१३ फरवरी २०२३ तक सप्तदिवसीय राष्ट्रीय वर्णसमीक्षा-कार्यशाला का समायोजन किया गया । पण्डित मधुसूदन ओझा द्वारा प्रणीत वर्णसमीक्षा एक भाषाशास्त्रीय ग्रन्थ है। इसमें भाषा के विविध पक्षों को समाहित किया गया है। संस्कृत वर्णमाला संबन्धी विवेचन वर्णमातृका नामक शीर्षक में किया गया है। वर्णों के उच्चारण के नियम के अन्तर्गत अयोगवाह के ९ भेदों को स्पष्टता से वर्णन किया गया है । जिसमें रंग और यम आदि विषयों के साथ-साथ वैदिक स्वरूप के नियमों पर विस्तृत चर्चा की गयी है। इस कार्यशाला में वर्णसमीक्षा ग्रन्थ के एक-एक विषयों को आधार बना कर विविध विद्वानों द्वारा इन विषयों का विवेचन किया गया। सभी विषय उद्घाटक विद्वानों ने विस्तार से एक एक तत्त्व का अपने व्याख्यान द्वारा स्पष्टता से प्रतिपादन किया। हिंदी में रिपोर्ट पढ़ें
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