Prashnopanishad is an important Upanishad. Pandit Motilal Shastri has referred to it as Pippalodapanishad or Pranopanishad. There are six questions in this upanishad. These are on parameshti mahan, saur vijnanatma, chandra pragyanatma, parthiv pranatmaka, svaymbhu avavyatma and purushatma. The bashya gives a detailed account of these. It is considered to be one of the finest works of Shastriji. Shodashi purusha is infused with five pranas–avyaktaprana, mahatprana,vijnanaprana,pragyanprana and pashuprana. These are in some definitions termed as vishvasrit. These are termed as prana, apah,vaka, anna and annada
–the brahmasatya.
प्रशनोपनिषद-विज्ञान-भाष्य
प्रशनोपनिषद एक महत्वपूर्ण उपनिषद है । पंडित मोतीलाल शास्त्री ने इसे पिपलोदापनिषद या प्राणोपनिषद कहा है । इस उपनिषद में छह प्रश्न हैं। ये परमशक्ति महान, सौर विज्ञान, चंद्र प्रज्ञानात्मा, पार्थिव प्राणात्मक, स्वयंभू अवव्यात्मा और पुरुषात्मा पर हैं । यह शास्त्रीजी की बेहतरीन कृतियों में से एक मानी जाती है । षोडशी पुरुष पांच प्राणों से प्रभावित है-अव्यक्त, महात्माना,विज्ञानप्राना,प्रज्ञानप्राना और पशुप्राना । इन्हें कुछ परिभाषाओं में कहा जाता है विश्वाश्रित । इन्हें प्राण, पापा, वाका, अन्ना और अन्नदा कहा जाता है-ब्रह्मा सत्य ।