In this volume, Pandit Madhsudan Ojha has examined `padarth` or `material` in Vedic vijnana. The volume deals with four subjects including padarthvijnana (material science). Ojhaji has compared modern scientific views with that of Veda vijnana to explain several complex subjects of science. In the context of fire, he has explained the elements of heat, light and electricity. There is a vivid explanation of heat in this volume wherein Ojhaji has examined `heat` as `energy`. This volume provides a bridge between the modern science and science as enunciated in the Veda.
वस्तुसमीक्षा
वस्तुसमीक्षा में वस्तु का अर्थ पदार्थ एवं समीक्षा का अर्थ विचार है। इस ग्रन्थ में वैदिकविज्ञान के अनुसार पदार्थ के स्वरूप पर विचार किया गया है। इस में मुख्यरूप से चार विषयों को समाहित किया गया है-पदार्थविज्ञान, रसायनविज्ञान, दृग्विज्ञान एवं अंशुविज्ञान । पण्डित ओझा जी ने इस ग्रन्थ में आधुनिक वैज्ञानिक तत्त्वों का वैदिकविज्ञान के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण करने का प्रयास किया है। अग्नि के स्वरूप प्रतिपादन के क्रम में ताप, आलोक और विद्युत् का विश्लेषण किया गया है। ताप के ही विविध आयामों को यहाँ सम्पूर्ण ग्रन्थों में स्पष्ट किया गया है। प्रतीत होता है कि पण्डित ओझा जी ने आधिनुक इनर्जी (energy) के अर्थ में ताप के महत्त्व को उद्घाटित किया है। इस प्रकार यह ग्रन्थ वर्तमान समय में इसलिए उपयोगी है क्योंकि सभी जगह विज्ञान की ही चर्चा चल रही है। संस्कृत में विज्ञान का जो स्रोत है, वह यहाँ देखने को मिलता है।