Vijnanavidyut

Vijnana Vidyut is an important work on Brahma vijnana by great vedic savant, Pandit Madhusudan. The term vidyut means illumination. As everything becomes clear in the glare of a lightening in the sky, reading this volume will enable a reader to understand Brahma vijnana easily. The reader will be like a traveler in utter darkness who finds his path in a burst of lightness. The path of finding vedic knowledge is like walking in darkness and this volume offers illumination like a lightening to the seeker. Brahma vijnana or the science of Brahma is a vivid and complex science and Ojhaji’s volume acts as a map of vedic science.

विज्ञानविद्युत्

पण्डित मधुसूदन ओझा ने ब्रह्मविज्ञान को सरलता से समझाने के लिए एक छोटा ग्रन्थ संस्कृत में लिखा है। जो जिज्ञासु ब्रह्मविज्ञान के विषय का अध्ययन करना चाहते हैं उनके लिए यह प्राथमिक प्रवेशिका ग्रन्थ है। ‘विज्ञानविद्युत्’ इस नाम में दो शब्द हैं विज्ञान और विद्युत् । विज्ञान का अर्थ ब्रह्मविज्ञान एवं विद्युत् का अर्थ प्रकाश है। इस प्रकार ब्रह्मविज्ञान संबन्धी विद्या को प्रकाशित करने वाला ग्रन्थ विज्ञानविद्युत् है। इस लघुग्रन्थ में अध्याय के नाम को ‘प्रकाश’ शब्द से प्रस्तुत किया गया है। इस में पाँच प्रकाश हैं । प्रथम प्रकाश में ब्रह्म के चार पादों का वर्णन किया गया है। पुर, पुरुष, परात्पर और निर्विशेष इन चार तत्त्वों का विवेचन किया गया है। द्वितीय प्रकाश में क्षर, अक्षर और अव्यय पुरुष का विस्तार से वर्णन किया गया है। यहाँ इस के पाँच स्वरूपों का वर्णन उपलब्ध है। क्षर तत्त्व पाँच हैं- कारणशरीर, सूक्ष्मशरीर, स्थूलशरीर, प्रजावर्ग और वित्तवर्ग। अक्षर तत्त्व पाँच हैं- ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्र, सोम और अग्नि। अव्यय तत्त्व पाँच हैं- आनन्द, विज्ञान, मन, प्राण और वाक् । तृतीयप्रकाश में प्राणमय स्वयम्भू, आपोमय परमेष्ठी विष्णु, वाक् स्वरूप सूर्य, अन्नादमय पृथ्वी का और अन्नमय चन्द्रमा वर्णन किया गया है। चतुर्थ प्रकाश में आत्मा के विविध स्वरूपों का वर्णन है। ब्रह्मविज्ञान में स्वयम्भू मण्डल, परमेष्ठी मण्डल, सूर्य मण्डल, चन्द्र मण्डल और पृथ्वीमण्डल ये मण्डल पाँच है। स्वयम्भू मण्डल की आत्मा प्राणमय शान्तात्मा है, परमेष्ठी मण्डल की आत्मा आपोमय महानात्मा विष्णु है, सूर्यमण्डल की आत्मा विज्ञानात्मा वाक् रूप इन्द्र है, चन्द्र मण्डल की आत्मा प्रज्ञानात्मा अन्नमय और सोम है, पृथ्वी मण्डल की अत्मा भूतात्मा है और अन्नाद स्वरूप अग्नि है।

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