Yajnasarasvati
Dr Ramanuj Upadhyay translated the book on yajna by Pandit Madhusudan Ojha into Hindi. He teaches at Shri Lal Bahadur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapeeth, New Delhi. The book presents a comprehensive view of yajna vijnana or the science of yajna. This book is divided into two sections–somakhanda and agnichayankhanda. In Somakhanda, a comprehensive and yet simple description of ishti and rajasuya-yajna. In the agnichayankhanda, selection of material for yajna and preparation of the place of yajna have been described with colourful illustrations. यज्ञसरस्वतीयह यज्ञविज्ञान नामक ग्रन्थविभाग के अन्तर्गत लिखा गया याज्ञिक विषयों का प्रतिपादक ग्रन्थ है । इस ग्रन्थ के सोमकाण्ड एवं अग्निचयनकाण्ड नामक दो खण्ड हैं । सोमकाण्ड के अन्तर्गत जहाँ इष्टि से लेकर राजसूययज्ञ तक के यज्ञों की पद्धति सरल रीति से बतलायी गयी है वहीं अग्निचयनकाण्ड में चयनविद्या एवं उसकी पद्धति तथा चितियों का निर्माण सादा एवं रंगीन नक्शों के साथ बहुत ही सुन्दरता से प्रतिपादित किया गया है ।डॉ. रामानुज उपाध्याय, सहाचार्य, वेदविभाग, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली ने पण्डित मधुसूदन ओझा प्रणीत यज्ञसरस्वती ग्रन्थ की हिन्दी व्याख्या की है।(This is a copyrighted material and cannot be reproduced)