Bhakti-yoga-pariksha Part I and II

Pandit Motilal Sharma has explained the genesis, profile and characteristics of bhaktiyoga. He argues that when jnanayoga and karmayoga failed to address all the issues, bhaktiyoga came into existence. Both jnanayoga and karmayoga formed part of bhaktiyoga. Shastriji has defined bhaktiyoga as the path in which materials are adibhautik and objective is adhidaivik.

भक्ति-योग-परीक्षा भाग 1 भाग 2

पंडित मोतीलाल शर्मा ने भक्तियोग की उत्पत्ति, रूपरेखा और विशेषताओं के बारे में बताया है। उनका तर्क है कि जब ज्ञानयोग और कर्मयोग सभी मुद्दों को संबोधित करने में विफल हो गए, तो भक्तियोग अस्तित्व में आया। ज्ञानयोग और कर्मयोग दोनों ही भक्तियोग का हिस्सा थे। शास्त्रीजी ने भक्तियोग को उस मार्ग के रूप में परिभाषित किया है जिसमें पदार्थ आदिभौतिक होते हैं और वस्तु आधिदैविक होती है।

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