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Jagadguruvaibhavam

Pandit Madhusudan Ojha wrote Jagadguruvaibhavam to expand the meaning and scope of his earlier work, Indravijayah.  In this volume, he expands on the theme of Brahma, underlining the significant importance of Brahma in Creation. He has described different forms of Brahma. जगद्गुरुवैभवम् यह ब्रह्मविज्ञान के अन्तर्गत दिव्यविभूति नामकग्रन्थविभाग का पहला ग्रन्थ है । इस ग्रन्थ में ब्रह्मा विषयक विविध प्रश्नों का सयुक्तिक समाधान किया गया है, यथा-ब्रह्मा कोई ऐतिहासिक व्यक्ति थे? अथवा इनका कोई वैज्ञानिक स्वरूप भी है? ऐतिहासिक ब्रह्मा कौन थे, वे कब और कहाँ हुए? वैज्ञानिक ब्रह्मा का क्या स्वरूप है? दोनों ब्रह्माओं का विश्वकर्तृत्व और विश्वगोप्तृत्व किस प्रकार है? वैज्ञानिक व ऐतिहासिक अथवा कौन हैं? उनका स्वरूप क्या है? आदि विषयों का निरूपण प्रस्तुत ग्रन्थ में किया गया है । Read/download

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Vedadharmavyakhyanam

This is the collection of Pandit Madhusudan Ojha’s talks on dharma and related subject during his foreign travels. वेदधर्मव्याख्यानम् यह उनकी विदेश यात्रा के दौरान धर्म और संबंधित विषय पर पंडित मधुसूदन ओझा की वार्ता का संग्रह है । Read/download

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Chhandasameeksha

Pandit Madhusudan Ojha has explained the science of Vedic metre in this volume. `Chhanda` is one of the six Vedangas. छन्दःसमीक्षा छन्दःशास्त्र के विश्लेषण हेतु ओझा जी ने इस ग्रन्थ की रचना की है । इस ग्रन्थ में छन्दस्तत्त्व की समीक्षा की गयी है जिसमें पद्यच्छन्दोवेदगत शिक्षा, गणित, निरुक्ति, व्याकरण व कल्पभेद से पाँच अङ्ग प्रतिपादित हैं । अर्थात् इस पद्यच्छन्दोवेद में छन्दःशिक्षा, छन्दोगणित, छन्दोनिरुक्ति, छन्दोव्याकरण एवं छन्दोकल्प इन पाँच अङ्गों का निरूपण किया गया है । Read/download

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Dharmapariksha Panjika

The title of the book explains its contents. The `dharma` in the title refers to virtuous behaviour and `pariksha` means thoughts. This book, in essence, is a text of thoughts on virtuous behavior. This is a Hindi translation. In this compact volume, five subjects of dharma have been explained. What is the origin of dharma? What are the benefits of following dharma? धर्मपरिक्षा पंजिकाधर्मपरीक्षा में जो धर्म है उसका अर्थ संस्कार है एवं परीक्षा का अर्थ विचार है। इस प्रकार धर्मपरीक्षा का अर्थ है- संस्कारों का विचार। कापी को पञ्जिका कहते हैं। सामान्यतया जिसमें हमलोग लिखते हैं उसे संस्कृत में पञ्जिका कहते हैं। इस लघुकाय ग्रन्थ में धर्म के पाँच विषयों को स्पष्ट किया गया है। पहला विषय धर्म का मूल क्या है, इस पर विचार है। पुनः धर्म के फल का प्रतिपादन है। इसी क्रम में फल के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए पण्डित ओझा जी ने कहा है कि- अध्याहार, परिहार और अभ्युन्नति, ये तीन प्रकार के फल हैं। विभक्तिरहस्य और नियामक रहस्य में धर्मों की सूक्ष्माता से विचार है। इस प्रकार यह ग्रन्थ धर्म विषयक विवेचना के लिए अत्यन्त ही उपयोगी है। Read/download

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Vyakyaranavinod

Vyakaranvinod is a simplified text on Sanskrit grammar written by Pandit Madhusudan Ojha. In six chapters, Ojhaji has explained the intricacies of language and grammar in a comprehensive manner. Ojhaji had kept students of Sanskrit in mind while writing this book. व्याकरणविनोदः पण्डित मधुसूदन ओझा के वेदाङ्गसमीक्षा खण्ड में वाक्पदिका नामक विभाग में ‘व्याकरणविनोद’ ग्रन्थ का स्थान है। व्याकरण भाषा में प्रयोग होने वाले शब्दों को सिद्ध करने का कार्य करता है। विनोद पद का अर्थ अनायास या सहज है। जो ग्रन्थ भाषासम्बन्धी विषय को सरलता से पाठक को समझा दे उस ग्रन्थ को व्याकरणविनोद कहते हैं। इस ग्रन्थ में छह प्रकरण हैं- १. समासपरिच्छेद २. तद्धितपरिच्छेद ३. नामधातुपरिच्छेद ४. प्रक्रियापरिच्छेद ५. कृदन्तपरिच्छेद और ६. अव्ययपरिच्छेद ।समासपरिच्छेद में समास को बताया गया है। समास दो या इससे अधिक शब्दों को जोड़ने को समास कहते हैं। समास के ये भेद हैं-द्विरुक्तसमास, द्वन्द्वसमास, अव्ययीभावसमास, तत्पुरुषसमास, बहुव्रीहि हैं। जो प्रत्यय शब्द से होते हैं उसे तद्धित प्रत्यय कहते हैं। जैसे- समाज शब्द से सामाजिक, सुन्दर शब्द से सुन्दरता, शिक्षा शब्द से शैक्षिक आदि अनेक शब्द बनते हैं।नाम अर्थात् संज्ञाशब्द से धातु बनाने की प्रक्रिया का नामधातु है । जैसे कारित का अर्थ प्रेरणा है। णिच् प्रत्यय से यह शब्द बनता है। जैसे राम पढ़ता है, शिक्षक के द्वारा राम पढ़ाया जाता है। राम जाता है । मोहन के द्वारा राम को भेजवाया जाता है । यहाँ पढ़ाया और भेजवाया प्रेरणा का ही उदाहरण है।धातु से होने वाले प्रत्यय को कृत् कहते हैं। वह कृत् जिसके अन्त में हो वह कृदन्त कहलाता है। जैसे- पठ् धातु से पाठक, कृ धातु से कारक बना। संस्कृत में जिस पद का रूप न चलता हो वह अव्यय है। राम शब्द का कर्ताकारक आदि में रूप चलता है। धातु के भी लट् लकार आदि में रूप चलते हैं । परन्तु यथा, तथा, वा आदि अव्यय का रूप नहीं चलता है। इस प्रकार यह व्याकरणविनोद सहजता से पाठक को व्याकरण का निचोड़ समझाने में उपयुक्त है । यह ग्रन्थ छात्र को दृष्टि में रखकर समझाने के लिये पण्डित ओझाजी ने लिखा है।Read/download

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Vijnanavidyut

Vijnana Vidyut is an important work on Brahma vijnana by great vedic savant, Pandit Madhusudan. The term vidyut means illumination. As everything becomes clear in the glare of a lightening in the sky, reading this volume will enable a reader to understand Brahma vijnana easily. The reader will be like a traveler in utter darkness who finds his path in a burst of lightness. The path of finding vedic knowledge is like walking in darkness and this volume offers illumination like a lightening to the seeker. Brahma vijnana or the science of Brahma is a vivid and complex science and Ojhaji’s volume acts as a map of vedic science. विज्ञानविद्युत् पण्डित मधुसूदन ओझा ने ब्रह्मविज्ञान को सरलता से समझाने के लिए एक छोटा ग्रन्थ संस्कृत में लिखा है। जो जिज्ञासु ब्रह्मविज्ञान के विषय का अध्ययन करना चाहते हैं उनके लिए यह प्राथमिक प्रवेशिका ग्रन्थ है। ‘विज्ञानविद्युत्’ इस नाम में दो शब्द हैं विज्ञान और विद्युत् । विज्ञान का अर्थ ब्रह्मविज्ञान एवं विद्युत् का अर्थ प्रकाश है। इस प्रकार ब्रह्मविज्ञान संबन्धी विद्या को प्रकाशित करने वाला ग्रन्थ विज्ञानविद्युत् है। इस लघुग्रन्थ में अध्याय के नाम को ‘प्रकाश’ शब्द से प्रस्तुत किया गया है। इस में पाँच प्रकाश हैं । प्रथम प्रकाश में ब्रह्म के चार पादों का वर्णन किया गया है। पुर, पुरुष, परात्पर और निर्विशेष इन चार तत्त्वों का विवेचन किया गया है। द्वितीय प्रकाश में क्षर, अक्षर और अव्यय पुरुष का विस्तार से वर्णन किया गया है। यहाँ इस के पाँच स्वरूपों का वर्णन उपलब्ध है। क्षर तत्त्व पाँच हैं- कारणशरीर, सूक्ष्मशरीर, स्थूलशरीर, प्रजावर्ग और वित्तवर्ग। अक्षर तत्त्व पाँच हैं- ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्र, सोम और अग्नि। अव्यय तत्त्व पाँच हैं- आनन्द, विज्ञान, मन, प्राण और वाक् । तृतीयप्रकाश में प्राणमय स्वयम्भू, आपोमय परमेष्ठी विष्णु, वाक् स्वरूप सूर्य, अन्नादमय पृथ्वी का और अन्नमय चन्द्रमा वर्णन किया गया है। चतुर्थ प्रकाश में आत्मा के विविध स्वरूपों का वर्णन है। ब्रह्मविज्ञान में स्वयम्भू मण्डल, परमेष्ठी मण्डल, सूर्य मण्डल, चन्द्र मण्डल और पृथ्वीमण्डल ये मण्डल पाँच है। स्वयम्भू मण्डल की आत्मा प्राणमय शान्तात्मा है, परमेष्ठी मण्डल की आत्मा आपोमय महानात्मा विष्णु है, सूर्यमण्डल की आत्मा विज्ञानात्मा वाक् रूप इन्द्र है, चन्द्र मण्डल की आत्मा प्रज्ञानात्मा अन्नमय और सोम है, पृथ्वी मण्डल की अत्मा भूतात्मा है और अन्नाद स्वरूप अग्नि है। Read/download

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Brahmavijnana

Brahmavijnana is the only work of Pandit Madhusudan Ojha which  is originally written in Hindi. It is a text of his discourse on Brahma. Brahmavijnana is about all the subjects related to Brahma. Here, Ojhaji has explained in simple terms the meaning of prana or life-force.    ब्रह्माविज्ञान ब्रह्माविज्ञान पंडित मधुसूदन ओझा की एकमात्र कृति है जो मूल रूप से हिंदी में लिखी गई है । यह ब्रह्मा पर उनके प्रवचन का एक पाठ है । ब्रह्माविज्ञान ब्रह्मा से संबंधित सभी विषयों के बारे में है । यहां ओझा जी ने सरल शब्दों में प्राण-शक्ति का अर्थ समझाया है । Read/download

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Bhautik Vijnana

This is a volume on material science authored by Pandit Madhusudan Ojha. This is a Hindi translation. According to him, there are three kinds of material in the world—substance, liquid and vapour. The element whose atoms stick together fall in the substance category. The elements which are liquid in nature fall in the second category. The elements whose atoms remain scattered are vapour material like air and blinding light. These elements have `bala` (force) within them.  भौतिक विज्ञान यह पंडित मधुसूदन ओझा द्वारा भौतिक सामग्री विज्ञान पर एक ग्रंथ है । यह एक हिंदी अनुवाद है । दुनिया में तीन प्रकार के पदार्थ हैं—पदार्थ, तरल और वाष्प । जिस तत्व के परमाणु आपस में चिपकते हैं वह पदार्थ श्रेणी में आता है । जो तत्व प्रकृति में तरल होते हैं वे दूसरी श्रेणी में आते हैं । जिन तत्वों के परमाणु बिखरे रहते हैं वे वाष्प सामग्री जैसे वायु और अंधा प्रकाश हैं । इन तत्वों के भीतर `बल` है । Read/download 

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Khyati Granth

Pandit Madhusudan Ojha has extensively documented various terms appearing in the Vedic texts in Atrikhyati, Devasura-khyati and Madhav-khyati. These terms include brahma, dharma, yajna, itihas and vedanga. He categorised these books into four—yajna, vijnana, itihas and prakirna. (miscellaneous). Devasura-khyati forms part of his work on itihasa (history). In this work, he has explained the origin of Veda, dharma, praja, trailokya (triple worlds) and loka. ख्याति ग्रन्थ पंडित मधुसूदन ओझा ने वैदिक ग्रंथों में अत्रिक्यति, देवसुर-ख्याति और माधव-ख्याति में प्रदर्शित होने वाले विभिन्न शब्दों का व्यापक रूप से लिखा हुआ है । इन शब्दों में ब्रह्मा, धर्म, यज्ञ, इतिहास और वेदांग शामिल हैं । उन्होंने इन पुस्तकों को चार में वर्गीकृत किया—यज्ञ, विज्ञान, इतिहास तथा प्रकर्ण । (विविध) । देवसुरख्यति इतिहास पर उनके काम का हिस्सा है । इस ग्रंथ में उन्होंने वेद, धर्म, प्रजा , त्रिलोक और लोक।की उत्पत्ति की व्याख्या की है । माधवख्याति पुराणसमीक्षा ग्रन्थविभाग के अन्तर्गत निर्मित इस माधवख्याति नामक ग्रन्थ में यदुवंश का समग्र विवरण प्रस्तुत किया गया है । ग्रन्थ के अन्त में दी गयी अनुक्रमणिका में यदुवंशीय राजाओं की सूची भी दी गयी है ।Read/download Madhavakhyati देवासुरख्याति ओझाजी द्वारा लिखित पंचविध ग्रन्थविभागों में से पुराणसमीक्षा नामक ग्रन्थविभाग के अन्तर्गत इतिहासविषयक पाँच ख्यातिपरक ग्रन्थों का प्रणयन किया गया जिसमें यह देवासुरख्याति भी एक है । इस ग्रन्थ में वेदसृष्टि, धर्मसृष्टि, प्रजासृष्टि, त्रैलोक्यनिरूपण, लोकसृष्टि एवं चातुर्वर्ण्य विषयक विवेचन किया गया है ।Read/Download Devasurakhyati Read/Download Atrikhyati

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Kadambini

This treatise discusses in great detail the ancient Indian weather science envisioned by our seer-scientists of yore for forecasting normal, abnormal and excessive rain-fall as also drought in rainy season of a year on the basis of close and careful observation of the four kinds of causes. The good and evil impactof the various kinds of comets has also been discussed in this treatise. It serves as a conclusive proof of Pandit Ojha’s profound scholarship in astronomy, astrology and other related ancient sciences. कादम्बिनी कादम्बिनी पंडित मधुसूदन ओझा की महत्वपूर्ण रचनाओं में से एक है । इस खंड में प्राचीन भारतीय मौसम विज्ञान के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है, जिसकी परिकल्पना हमारे पूर्व के द्रष्टा-वैज्ञानिकों ने चार प्रकार के कारणों के गहन अध्ययन के आधार पर वर्षा के मौसम में सामान्य, असामान्य और अत्यधिक वर्षा के साथ-साथ सूखे के पूर्वानुमान के लिए की थी । इस ग्रंथ में विभिन्न प्रकार के धूमकेतुओं के अच्छे और बुरे प्रभाव की भी चर्चा की गई है । यह ग्रंथ खगोल विज्ञान, ज्योतिष और अन्य संबंधित प्राचीन विज्ञानों में पंडित ओझा के गहन ज्ञान के निर्णायक प्रमाण के रूप में कार्य करता है । Read/download

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